दुनियाभर में जारी कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच वैक्सीन के जल्द आने की उम्मीद बढ़ी हुई है। कई बड़ी कंपनियां अपनी वैक्सीन के असरदार होने का दावा कर रही हैं, जिसमें फाइजर, मोर्डना जैसी कंपनियां शामिल है। ऑक्सफोर्ड की ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन को लेकर भी अब अच्छी खबर आई है। ये वैक्सीन असरदार बताई जा रही है। भारत के लिए भी ये गुड न्यूज है, क्योंकि इस वैक्सीन के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने एस्ट्राजेनेका से डील हुई है। आपको बताते हैं कि वो कौन-सी 5 बड़ी वजह हैं, जिसके चलते इस वैक्सीन को भारत के लिए बेहतर माना जा रहा है-
असरदार साबित हुई वैक्सीन
ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की ये वैक्सीन कोरोना को रोकने में कारगर साबित हो रही है। वैक्सीन के फेज 3 के अंतरिम एनालिसिस में बताया गया कि ओवरऑल इसकी एफिसेसी 70.4% रही। बड़ी बात ये भी है कि डोज की मात्रा में अगर बदलाव किया जाता है, तो वैक्सीन और असरदार साबित हो रही है। वैक्सीन की पहली डोज आधी और दूसरी पूरी रखने पर ये 90 प्रतिशत तक असरदार साबित हुई।
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नहीं मिला कोई गंभीर साइड इफेक्ट
वैक्सीन का ट्रायल कई देशों में चल रहा हैं, जिसमें यूके, बाजील और भारत भी शामिल है। फिलहाल तो वैक्सीन के कोई भी गंभीर साइड इफेक्ट की बात सामने नहीं आई। यूके में एक वॉलिंटयर की तबीयत खराब हो गई थी, जिसकी वजह से वैक्सीन के ट्रायल को रोक दिया गया था। रिजल्ट में वैक्सीन की सेफ्टी इश्यूज की बात नहीं है। वैक्सीन देने पर साइड इफेक्ट नहीं होंगे, ये सुरक्षित होगी।
स्टोर करना ज्यादा आसान
फाइजर और मोर्डना की वैक्सीन भी काफी असरदार बताई गई है, लेकिन भारत के लिए समस्या इसे स्टोर करने की है। ये दोनों ही वैक्सीन शून्य से भी कम टेंपरेचर पर रखनी पड़ती है। इस मुकाबले में भी ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन बेहतर है। वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री के टेंपरेचर पर स्टोर किया जा सकता है। ज्यादातर वैक्सीन इस टेम्प्रेचर पर ही स्टोर की जाती हैं।
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नहीं होगी ज्यादा कीमत
बात अगर वैक्सीन की कीमत की करें तो ये भी बाकी वैक्सीन के मुकाबले कम होगी। SII के सीईओ अदार पूनावाला ने बताया था कि सरकार को ये वैक्सीन कम कीमत में मिलेगीं क्योंकि वो ज्यादा मात्रा में इसकी डोज खरीदेगी। आम जनता को वैक्सीन के लिए 500-600 रुपये चुकाने पड़ सकते हैं। उन्होनें कहा था कि ये वैक्सीन मार्केट में मौजूद कई वैक्सीन से काफी सस्ती है।
सबसे पहले भारत में इसी वैक्सीन के आने की उम्मीद
सबसे पहले भारत में इस वैक्सीन के आने की ही उम्मीद लगाई जा रही है। यूके में वैक्सीन के इमर्जेंसी अप्रूवल के लिए कंपनी अप्लाई करेगी। वहां पर मंजूरी मिल जाने के बाद सीरम इंस्टीट्यूट भी ट्रायल डेटा के आधार पर भारत में वैक्सीन के इमर्जेंसी अप्रूवल के लिए अप्लाई करेगी। अगले साल की शुरुआत में ही इस वैक्सीन के उपलब्ध होने की संभावना है।
बात अगर दूसरी वैक्सीन की करें तो भारत बायोटेक द्वारा तैयार की जा रही कोवैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। इसके अलावा फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन भारत में जल्द आने की उम्मीद कम हैं। क्योंकि कई पश्चिमी देशों ने इसकी बुकिंग कर ली और इन वैक्सीन की कीमत ज्यादा है और डिलीवरी में भी समय लग जाएगा। इस वजह से कोविशील्ड वैक्सीन ही भारत में सबसे पहले आने की उम्मीद जताई जा रही है।
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